अंतिम संस्कार की विधि के लिए हर धर्म के लोग अलग-अलग रीति-रिवाज का पालन करते हैं। आइए जानते हैं मुस्लिम अंतिम संस्कार की विधि क्या है ?
इस संसार में जिस जीव ने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु सुनिश्चित है। ऐसी मान्यता है कि आत्मा अजर एवं अमर है। मृत्यु के पश्चात आत्मा एक शरीर को त्यागकर दूसरे सफर के लिए निकल जाती है। मनुष्य की मृत्यु के पश्चात सभी धर्म के लोग अपने अपने रीति रिवाज के अनुसार मृतक की आत्मा की शांति के लिए, विभिन्न नियमों का पालन करते हुए अंतिम संस्कार की विधि पूरी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के पश्चात यदि मृतक आत्माओं का अंतिम संस्कार विधि विधान से नहीं किया गया , तो आत्माएं दरबदर भटकती रहती हैं और उन्हें शांति नहीं मिलती है। अतः मृत्यु के पश्चात मृतक की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान से अंतिम संस्कार का किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
अंतिम संस्कार की विधि के लिए हर धर्म के लोग अलग-अलग रीति-रिवाज का पालन करते हैं। आइए जानते हैं मुस्लिम अंतिम संस्कार की विधि क्या है ?
मुस्लिम अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

मुस्लिम अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शव को दफनाने की प्रथा प्रचलित है। मुस्लिम समाज में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, इस्लाम के मुताबिक मृतक के शव को विधिपूर्वक जल्द से जल्द दफना दिया जाना चाहिए। शव को दफनाने से पहले कुछ नियमों का पालन किया जाता है तत्पश्चात दफनाने की प्रक्रिया किया जाती है।
मुस्लिम धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो सर्वप्रथम यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण होता है कि व्यक्ति की मृत्यु किस वजह से हुई है ? यह एक प्राकृतिक मृत्यु है अथवा आकस्मिक मृत्यु, अथवा मृतक युद्ध में शहीद हुआ है। यह निर्धारित होने के बाद ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है।
मुस्लिम अंतिम संस्कार की रस्में
मृतक को नहलाना :
मुस्लिम अंतिम संस्कार प्रक्रिया की शुरुआत मृतक के शरीर की शुद्धि के साथ होती है। इसके लिए व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसके शव को नहलाया जाता है। इससे जुड़े कुछ नियम हैं। मुस्लिम अंतिम संस्कार में शव को नहलाना एक अनिवार्य अनुष्ठान है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके समान लिंग के लोग यानी यदि किसी पुरुष की मृत्यु होती है तो पुरुष वर्ग, और यदि किसी महिला की मृत्यु होती है तो महिलाएं शव को नहलाने का काम करती हैं।
शव को नहलाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शरीर के उन हिस्सों को ढककर ही स्नान कराया जाए जिसे शरिया के अनुसार छिपा कर रखा जाता है।
नोट: किसी अप्राकृतिक मृत्यु यानी किसी दुर्घटना इत्यादि मामले में इसमें कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।
कफन पहनाना:
शव को नहलाने के बाद कफन पहनाने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इससे जुड़े कुछ नियम हैं। मुस्लिम धर्म में पुरुष एवं महिला को अलग-अलग प्रकार से कफ़न पहनाया जाता है। यदि मरने वाला व्यक्ति पुरुष है तो चार रस्सियों से लपेटकर तीन सफेद चादरें ओढ़ाई जाती है, जबकि किसी महिला की मृत्यु होने पर उसे सफेद रंग की बिना आस्तीन की ढीली -ढाली पोशाक पहनाई जाती है। उसके सिर को भी सफेद कपड़े से ढक दिया जाता है।
मुस्लिम धर्म के अनुसार कफन सादा, सरल और विनम्र होना चाहिए। यही वजह है कि आमतौर पर कफन के लिए सफेद सूती वस्त्र का इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि अलग-अलग देश, एवं स्थान पर कफन के कपड़े, रंग इत्यादि में कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।
अंतिम संस्कार से जुड़ी प्रार्थना –
अंतिम संस्कार प्रार्थना, मुस्लिम अंतिम संस्कार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मृतक शरीर को स्नान कराने व कफन पहनाने के बाद, शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाता है। इस दौरान मृतक के शुभचिंतक, करीबी और रिश्तेदार उसके प्रति अपनी संवेदना व सम्मान प्रकट करते हैं।
शव को दफनाने से पहले ‘अंतिम संस्कार प्रार्थना’ की जाती है, जिसे इस्लामिक भाषा में ‘सलात अल-जनाज़ा’ कहा जाता है। ‘अंतिम संस्कार प्रार्थना’ के बाद शव को दफनाने के लिए ले जाया जाता है। इस दौरान अंतिम जुलूस में शामिल सभी लोग पैदल ही कब्रिस्तान तक शव को लेकर जाते हैं।

शव को दफनाना –
मुस्लिम अंतिम संस्कार में स्नान, कफन और प्रार्थना के बाद शव को दफनाने की प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ नियम है। मुस्लिम अंतिम संस्कार में शव को दफनाने के लिए जो कब्र बनाया जाता है उसकी दिशा मक्का के दिशा के लंबवत होनी चाहिए। कब्र तैयार हो जाने के बाद शव को इसमें लिटाया जाता है। इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ नियम है –
- मुस्लिम धर्म में यदि किसी पुरुष की मृत्यु होती है तो उसके भाई या बहनोई शव को कब्र में उतारते हैं।
- यदि किसी महिला की मृत्यु होती है तो शव को कब्र में नीचे उतारने का काम उसका पति करता है। यदि पति शारीरिक रूप से अक्षम है तो महिला के बड़े बेटे अथवा दामाद को ये जिम्मेदारी निभानी होती है।

शव को कब्र में रखने के बाद कुरान की आयत को पढ़ते हुए तीन मुट्ठी मिट्टी कब्र में डाल दी जाती है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इसका तात्पर्य है कि -“मिट्टी से बने इस शरीर को, मिट्टी को ही सौंप रहे हैं, इसी मिट्टी से फिर वापस मांगेगे”। इसके पश्चात जिस व्यक्ति ने पूरे कब्र को खोदा है, वो मिट्टी से कब्र को पूरी तरह से ढक देता है। कब्र की ऊंचाई जमीन से 30 सेंटी मीटर से ऊपर नहीं रखी जाती है, क्योंकि इस्लामिक धर्म की मान्यता के अनुसार कब्र पर ना कोई इंसान बैठ सकता है, न ही उसपर चल सकता है। कब्र के ऊपर फूल डालकर उसे चिन्हित किया जाता है। इस प्रकार दफनाने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
नोट : मुस्लिम अंतिम संस्कार प्रक्रिया में महिलाओं तथा बच्चों को अंतिम संस्कार जुलूस में शामिल होने की इजाजत नहीं है।
Be First to Comment